वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर अजमेर दरगाह से जुड़े विभिन्न पदाधिकारियों और संगठनों के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं।
दरगाह दीवान का समर्थन
अजमेर दरगाह के दीवान, हाजी सैयद सलमान चिश्ती, ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का समर्थन किया है। उन्होंने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में व्याप्त अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी को उजागर करते हुए कहा कि यह विधेयक इन समस्याओं के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चिश्ती के अनुसार, वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायक हो सकता है।
अंजुमन सचिव का विरोध
अजमेर दरगाह के खादिमों की प्रमुख संस्था, अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया, के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इसे मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों के लिए गंभीर खतरा बताया है और आरोप लगाया है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। सरवर चिश्ती ने उन मुस्लिम नेताओं की भी आलोचना की है जो इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें “भाजपा समर्थक” और “मीर जाफर” जैसे शब्दों से संबोधित किया है।
खादिम समुदाय में विभाजन
अजमेर दरगाह के खादिम समुदाय में भी इस विधेयक को लेकर मतभेद स्पष्ट हैं। कुछ सदस्यों ने इसे प्रगतिशील कदम मानते हुए समर्थन दिया है, जबकि अंजुमन ने इन सदस्यों की निंदा करते हुए उन्हें “मुस्लिम विरोधी” गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। यह विभाजन दर्शाता है कि खादिम समुदाय इस मुद्दे पर एकमत नहीं है।
ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल का समर्थन
ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष और अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी, सैयद नासरुद्दीन चिश्ती, ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से आग्रह किया है कि वे सरकार के आधिकारिक बयानों पर विश्वास करें और विधेयक के संबंध में फैलाए जा रहे “भावनात्मक और उत्तेजक बयानों” पर ध्यान न दें।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 में वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करके वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के प्रावधान शामिल हैं। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और अनियमितताओं को रोकने में मदद करेगा। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि इससे सरकार को वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण मिल जाएगा, जो मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन हो सकता है।
निष्कर्ष
अजमेर दरगाह से जुड़े विभिन्न पदाधिकारियों और संगठनों के बीच वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर समर्थन और विरोध की मिश्रित प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। यह मतभेद दर्शाता है कि मुस्लिम समुदाय में इस विधेयक के प्रभावों को लेकर गंभीर चिंताएँ और बहसें चल रही हैं। आवश्यक है कि सभी पक्ष संवाद के माध्यम से अपनी चिंताओं को सामने रखें ताकि एक संतुलित और न्यायसंगत समाधान निकाला जा सके।
मुख्य बिंदु:
विधेयक पर मतभेद: अजमेर दरगाह से जुड़े विभिन्न संगठनों और पदाधिकारियों के बीच वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर भिन्न-भिन्न राय।
दरगाह दीवान का समर्थन: हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन के लिए विधेयक का समर्थन किया।
अंजुमन सचिव का विरोध: सैयद सरवर चिश्ती ने इसे मुस्लिम अधिकारों के खिलाफ बताते हुए विरोध जताया।
खादिम समुदाय में मतभेद: कुछ सदस्यों ने समर्थन दिया, जबकि अन्य ने इसे मुस्लिम विरोधी बताया।
ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल का रुख: सैयद नासरुद्दीन चिश्ती ने भी विधेयक का समर्थन किया और अफवाहों से बचने की सलाह दी।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान: वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से संशोधन प्रस्तावित।
आलोचना: विधेयक को वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
निष्कर्ष: समर्थन और विरोध के बीच संतुलित समाधान की आवश्यकता।